पूंजीवाद एक प्रकार का तंत्र
होने के साथ साथ किसी भी देश की आर्थिक व्यवस्था से जुड़ा शब्द है इसे समझने से
पूर्व आर्थिक शब्द को समझिए; जब आर्थिक स्थिति, आर्थिक व्यवस्था तथा आर्थिक शब्द
का प्रयोग किया जाता है तो इसका सीधा सबंध धन से होता है अब पूंजीवाद शब्द लीजिए
जो दो शब्दों “पूँजी” तथा “वाद” से जुड़ कर बना है पूंजी अर्थात धन; यह धन किसी भी
रूप में हो सकता है जैसे नकदी, या ऐसा मुनाफ़ा जिसे किसी भी समय नकदी में बदला जा
सके; तत्पश्चात यदि प्राप्त मुनाफे (जिसकी कोई सीमा नही) का प्रयोग निजी सुख
सुविधाओं के लिए या और अधिक निजी मुनाफा कमाने के लिए किया जाए तब इसे पूँजीवाद
कहा जाएगा अन्य शब्दों में पूंजीवाद अर्थात ऐसी व्यवस्था जिसमें निजी मुनाफे के
लिए उद्योग लगाया जाए
पूंजीवाद प्रणाली में एक
व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह किसी भी छोटे/बड़े उद्योग का अकेला स्वामी होता है उदाहरण
के तौर पर यदि कोई धनी व्यक्ति किसी उद्योग को चलाए तथा प्राप्त धन से उद्योग को विस्तृत
करने के साथ साथ निजी सुख भोग में धन खर्च करे, इसे पूंजीवाद कहा जा सकता है सरकार
द्वारा चलाए जा रहे उद्योगों से अतिरिक्त लगभग सभी उद्योग “निजी उद्योग” की श्रेणी
में आते हैं जिसका एकमात्र उद्देश्य लाभ कमाना होता है यह पूर्णत: बाजार में चल
रही मांग पर निर्भर करता है समय समय पर पूंजीवाद का विरोध होता रहा है तथा मांग
उठती रही है कि धन पर सम्पूर्ण समाज का अधिकार हो; यद्दपि पूंजीवाद के अनेक अर्थ अपने
अपने तरीके से निकाले जाते रहे हैं जिसमें कभी पूंजीवाद पर बल दिया जाता है तथा
कभी इसका विरोध होता है पूंजीवाद को अंग्रेजी में कैपिटलिज्म (Capitalism) (सी.ए.पी.आई.टी.ए.एल.आई.एस.एम.) कहा जाता है
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