किसी धार्मिक क्रिया के
पश्चात श्रद्धालुओं में श्रद्धा भाव से अन्न परोसने हेतु चुना गया विशेष स्थान तथा
अन्न परोसने की सम्पूर्ण क्रिया को सयुंक्त रूप से, भंडारा कहा जाता है। यद्दपि यह
भोज साधुओं के लिए लगाया जाता है परन्तु किसी भी श्रद्धालु को इसमें आने के पश्चात
निराहार नही रखा जाता। यह एक पुण्य या समाज सेवा हेतु श्रद्धा पूर्वक किया गया कार्य
होता है। जो विशेषकर धर्मिक स्थलों पर ही केन्द्रित होता है परन्तु घर या अन्य स्थान
पर कोई शुभ कार्य आरम्भ करने से पूर्व करवाए गए यज्ञ इत्यादि के उपरांत भी भंडारा
लगाया जा सकता है। भारत में बहुत से विशेष मौकों पर भंडारे लगाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त
सिक्खों के धार्मिक स्थल गुरुद्वारा साहिब में हर रोज़ भंडारा (लंगर) लगा होता है। भंडारा
शब्द के प्रयायवाची हैं: भोज या समूह। भंडारा को अंग्रेजी में फीस्ट कहा जाता है।
उदाहरण: इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालुओं ने मिलकर
भंडारे का आयोजन किया है। इस भंडारे में सभी को खुला आमंत्रण दिया गया था। भारत
जैसे देश में आस्था का एक अलग ही महत्व है क्योंकि जहां आस्था होती हैं वहां तर्क-वितर्क
का कोई स्थान नही होता।