यह शब्द विशेष रूप से उन साधुओं
के लिए प्रयोग किया जाता है जो अविवाहित होते हैं तथा निर्वस्त्र रहते हैं। परन्तु
प्रचलित तौर पर सिक्खों के एक सम्प्रदाय को निहंग नाम से जाना जाता है। इस
सम्प्रदाय के ज्यादातर सिक्ख नीले वस्त्रों में रहते हैं तथा नीली पगड़ी पहनते हैं व
धार्मिक करतब दिखाते हैं। विशेष मौकों पर बड़े से बड़े कपड़े को पगड़ी रूप में बाँधने
की विशेष रस्म भी इस सम्प्रदाय की ओर आकर्षण का कारण बनती है। इस सम्प्रदाय को
कूका नाम से भी जाना जाता है जो कि निहंग पंथ के अनुयायी होते हैं।
अन्य अर्थानुसार वह साधु जो लज्जा भाव से मुक्त हो/ किसी भी प्रकार की शर्म ना करता हो अर्थात निर्लज्ज हो निहंग कहलाता है। ये साधु पारिवारिक मामलों से दूर रहते हैं व घर गृहस्थी से कोई वास्ता नही रखते अकेल रहते हैं तथा अपने किसी लक्ष्य विशेष धार्मिक लक्ष्य को साधे हुए होते हैं। कभी-कभी निर्वस्त्र अवस्था में होने के कारण ही इन्हें निर्लज्ज कहा जाता है। निहंग का अर्थ व प्रयायवाची हैं: अकेला, निर्वस्त्र, अविवाहित, निहंग पंथ के अनुयायी, वैष्णव साधुओं का एक वर्ग विशेष, वैरागी, एक सिख सम्प्रदाय इत्यादि (अंग्रेजी: निहंग)