किसी पाठ्य पुस्तक को जब
बहुत से भागों में बांटा जाता है तथा प्रत्येक भाग में किसी विषय विशेष के बारे
में जानकारी मिलती है उन भागों में से कोई भी एक भाग पाठ कहलाता है एक पाठ पूर्णत:
एक उद्देश्य/सबक पर ही केन्द्रित होता है यदि किसी भाग में दो अंग हैं जो दो सबक
देते हैं तब इसका अर्थ होगा कि एक भाग में दो पाठों को सम्मिलित किया गया है सरल
शब्दों में सबक देने वाली कोई जानकारी (लिखित या मौखिक) पाठ कहलाती है; किसी
धार्मिक ग्रन्थ का उच्चारण करने की क्रिया को भी पाठ कहा जाता है जैसे: वेदपाठ;
अर्थात वेदों का उच्चारण करना जिनसे जीवन जीने के सबक मिले; इसी प्रकार सिख धर्म
में अखंड पाठ (अर्थात खंडित ना होने वाला पाठ) किया जाता है जिसमें बिना किसी खंडन
के श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी का पूर्णत: उच्चारण किया जाता है; पढने की क्रिया या
अध्यापन को भी कभी कभी पाठ शब्द से संबोधित किया जाता है यद्दपि यह इतना प्रचलित
अर्थ नही है; पाठ के प्रयायवाची सबक तथा पढ़ना हैं; पाठ को अंग्रेजी में लेसन कहा
जाता है
उदाहरण: अध्यापक ने सभी को हिन्दी विषय में एक से दस तक के सभी पाठ
याद करने के लिए कहा तथा परीक्षा रखी; परीक्षा में अव्वल आने वाले सभी
विद्यार्थियों को पुरस्कार दिए गए तथा जीवन में आगे बढ़ने हेतु प्रेरित किया गया
अध्यापक विद्यार्थियों को मात्र किताबी पाठ नही अपितु जीवन में विभिन्न पडावों पर
आने वाली परेशानियों से निपटने के लिए (पाठ) सबक भी देते हैं