स्त्रियों द्वारा पाँव में पहने जाने वाले आभूषणों का एक प्रकार, जो पायल की तरह ही होती है परन्तु पायल से अधिक चौड़ाई में
इस पर कलाकृति की गई होती है, पाजेब कहलाती है। पाजेब से निकली एक अन्य जंजीर आगे पैर
के अंगूठे तक जाकर एक अंगूठी से जुड़ी हुई होती है। यह सोने-चाँदी व मोतियों इत्यादि
के सयुंक्त प्रयोग से बनाई जाती है। यद्दपि हीरे जैसे अनमोल रत्न का प्रयोग भी
पाजेब में किया जा सकता है। चलते समय पाजेब में लगे घूँघरू छन-छन की ध्वनि उत्पन्न करते
हैं जो कि भारत जैसे देश में एक स्त्री श्रृंगार रस के रूप में लोकप्रिय है। हालाँकि
पायल की अपेक्षा पाजेब इतनी अधिक प्रचलन में नही है परन्तु शादियों में आज भी इनका
प्रचलन देखा जा सकता है। पाजेब शब्द का अत्यधिक प्रयोग उत्तरी भारत में किया जाता
है तथा कुछ क्षत्रों में इसे मंजीर भी कहा जाता है। पाजेब शब्द का पर्यायवाची है: नूपुर। पाजेब को अंग्रेजी में एंक्लेट कहा जाता है।
उदाहरण: पाजेब अक्सर शादी के अवसर पर सजी हुई दुल्हन के पाँव में
देखी जा सकती है। दूसरी तरफ पायल में कम घूँघरू लगे होते हैं तथा वजन में हल्की होती है। यही कारण है कि सामान्य तौर पर पाजेब की अपेक्षा पायल का प्रयोग किया जाता है।