किसी भी लिखित रचना को पढ़ने
वाला व्यक्ति पाठक कहलाता है। यह रचना कोई पुस्तक, ग्रन्थ, समाचार पत्र इत्यादि कुछ
भी हो सकती है तथा किसी भी लिपि में छपी हो सकती है। पाठक शब्द “पाठ” का विस्तार तथा लेखक का विलोम है। सरल शब्दों में कोई लिखित रचना जो कोई सबक देती हो पाठ कहलाती है तथा उस लिखित रचना को पढ़ने वाला व्यक्ति पाठक कहलाता है। कोई भी छात्र जो विद्या ग्रहण कर रहा है उसे भी पाठक कह कर संबोधित किया जा सकता
है तथा गुरु जो कि पाठन अर्थात अध्यापन का कार्य कर रहा है को भी अर्थानुसार पाठक कहा जा सकता है। इसके
अतिरिक्त किसी धार्मिक ग्रन्थ का उच्चारण अर्थात पाठ करने वाले को कथावाचक या पाठक
कहा जा सकता है। इसके अतिरिक्त पाठक ब्राह्मण समाज में एक गोत्र भी है उदाहरण: श्रुति पाठक;
जो हिन्दी भाषी क्षेत्रों में कुछ प्रसिद्ध लोगों के नाम के पीछे लगने के कारण आम लोगों
में जाना जाने लगा है। अन्य परिभाषा के अनुसार अपने लिपि ज्ञान का प्रयोग कर लिखित शब्दों
में छिपे भावों तथा अर्थों को ग्रहण करने वाला व्यक्ति पाठक कहलाता है। पाठक के प्रयायवाची है: विद्यार्थी या छात्र। पाठक को अंग्रेजी में रीडर कहा जाता है।
उदाहरण: पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी विज्ञापन को पढ़ने के तुरंत
बाद ही कोई कदम ना उठाएं। पहले विज्ञापन कर्ता के बारे में सुनिश्चित कर लें कि दिया
गया विज्ञापन सही है अथवा नही। पाठकों की सावधानी आवश्यक है जिससे वे किसी भी प्रकार
के झांसे में आने से बच सकेंगे।
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