पूर्णिमा महीने के उस दिन को
कहा जाता है जब चंद्रमा का पूर्ण पटल गोलाई रूप में दिखाई देता है पृथ्वी तथा
चंद्रमा की ब्रह्मांडीय स्थति के कारण पृथ्वी से चंद्रमा का आकार घटता-बढ़ता प्रतीत
होता है तथा इसी स्थिति में जिस रात आसमान में पूर्ण चंद्रमा उदय होता है उसे
पूर्णिमा कहा जाता है हिन्दू पचांग के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा के दिन का अपना एक
विशेष महत्व होता है पूर्णिमा शुक्ल पक्ष का अंतिम दिन होता है व इसके पश्चात
कृष्ण पक्ष की शुरुआत होती है जिसमें चंद्रमा की कलाएं घटने लगती हैं तथा अंतत:
चंद्रमा आकाश में से विलुप्त नज़र आता है उस रात को अमावस की रात कहा जाता है।
पूर्णिमा का हिन्दी में अर्थ होता है “पूर्णिमासी या शुक्ल पक्ष का अंतिम दिन”; स्थानीय
भाषाओँ में पूर्णिमा को पूर्णिमासी भी कहा जाता है जो नाम पूर्ण-मास (अर्थात माह
का पूर्ण होना) के आधार पर रखा गया है क्योंकि पचांग के अनुसार पूर्णिमा के दिन ही
महिना बदलता हैं
सरल शब्दों में चंद्रमा का
अपने पूर्ण रूप में उदय होना पूर्णिमा कहलाता है धार्मिक महत्व के चलते इस दिन
बहुत से धार्मिक स्थलों पर मेला लगाया जाता है तथा पूर्णिमा के दिन व्रत रखने की मान्यता
भी प्रचलित है यद्दपि पश्चिमी कलेंडर के अनुसार पूर्णिमा की कोई निश्चित तारीख तय
नही होती इसी कारण पूर्णिमा की पूर्व जानकारी के लिए पचांग छपवाए जाते हैं जिसमें
सभी स्वदेशी महीनों की जानकारी दी गई होती है धार्मिक कार्यों में इन महीनों का
अत्यधिक महत्व है परन्तु अधिकारिक कार्यों में पश्चिमी कलेंडर का प्रयोग विश्व
स्तर पर होता है। अन्य अर्थानुसार पूर्णिमा शब्द हिन्दू स्त्री नाम के तौर पर भी
लोकप्रिय है जिसका अनाधिकारिक अर्थ होता है चाँद जैसे मुख वाली, गौरी कन्या, साफ़
रंग वाली स्त्री इत्यादि। पूर्णिमा शब्द के अन्य प्रयायवाची हैं: पूनम, पूनो, पूर्णमाशी
इत्यादि; पूर्णिमा को अंग्रेजी में फुल मून (Full Moon) (एफ.यू.एल.एल._एम.ओ.ओ.एन.)
कहा जाता है