मनुष्य शरीर का कंधे से लेकर
हाथ तक का विस्तारनुमा अंग सयुंक्त रूप से भुजा कहलाता है जिसमें कोहनी एक मध्य
बनाती है। भुजा का आरंभ कंधे के जोड़ से लेकर हाथ की कलाई पर स्थति जोड़ तक होता है।
भुजा पर कंधे तथा कोहनी के मध्य स्थित मांसपेशियों की बनावट के आधार पर सुढोल शरीर
का आंकलन किया जाता है। भुजा का अर्थ व प्रयायवाची होता है: बाहु/ बाँह/ (अंग्रेजी:
आर्म)।
इसके अतिरिक्त भुजंग के नाम
से जाने जाने वाले सर्प की कुंडली को भी भुजा शब्द से संबोधित किया जा सकता है।
सफलता के बाद अक्सर दोनों भुजाओं को उठाकर अपनी ख़ुशी का इज़हार किया जाता है। इसके
अतिरिक्त दोनों भुजाओं को उठाकर कुछ कहने का अर्थ होता है कोई प्रतिज्ञा/ प्रण
लेना। उदाहरण: आओ मैदान में, देखते हैं तुम्हारी भुजाओं में कितनी शक्ति है।
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