दिल शब्द के भावनात्मक रूप
से व भौतिक रूप से दो अर्थ निकलते हैं आमतौर पर यह भावनात्मक रूप में अधिक प्रयोग
होता है। जिसका अर्थ होता है मन। अर्थात व्यक्ति के मस्तिष्क के वह भाव जो उसे प्रेम
करना सिखाते हैं, उसकी भावनाएं, सही गलत का निर्णय, उसकी इच्छाएं, उसकी आस्था,
उसका विश्वास इत्यादि दिल में उमड़ते माने जाते है। जबकि अन्य अर्थानुसार दिल शब्द
हृदय का पर्याय है जो कि संजीव प्राणियों के शरीर का एक पेशीय अंग है तथा रक्त को सम्पूर्ण
शरीर में संचारित करता है। दिल शब्द मन की भावनाओं को दर्शाने के लिए इतना प्रचलित
हो चुका है कि इसे एक शारीरिक अंग से ज्यादा प्रेम रुपी भाव दर्शाने के लिए जाना
जाता है। जैसे: दिल देना (अर्थात प्रेम करना है ना कि हृदय नामक अंग देना)
इसी प्रकार यदि कहा जाए “हम तुम्हे दिल से चाहते हैं” तो इसका शारीरिक अंग से कोई सबंध नही है बल्कि मन की भावनाओं से है अर्थात “हम तुम्हे भवनात्मक रूप से प्रेम करने की इच्छा रखते हैं” यद्दपि ऐसा नही है कि हृदय में होने वाली हलचल मस्तिष्क में भाव पैदा करने वाले हार्मोन्स पर कोई प्रभाव नही डालती; हृदय गति का घटना व बढ़ना मस्तिष्क पर सीधा प्रभाव डालता है ये ही कारण है कि दिल शब्द को आज से ही नही बल्कि सदियों से प्रेम व इच्छाओं का पर्याय माना जाता रहा है क्योंकि मस्तिष्क के अच्छे-बुरे भाव हृदय गति पर प्रभाव डालते हैं जैसे: डर की स्थिति में हृदय गति का बढ़ जाना। दिल का अर्थ व प्रयायवाची हैं: शरीर का एक अंग, मन, हृदय, जी, इच्छा, मन के भाव, प्रेम, मर्जी, हिम्मत, हौंसला, साहस इत्यादि (अंग्रेजी: हार्ट)
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