वह व्यक्ति जिसके पास बुनियादी
जरूरतों की पूर्ती हेतु भी धन ना हो अर्थात जो अपने लिए रोटी जैसी बुनियादी जरूरतों
की पूर्ती ना कर सके कंगाल कहलाता है। यह शब्द व्यक्ति की निर्धनता की सबसे नीचली
सीमा को दर्शाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। यह शब्द भुक्कड़ का पर्याय है
अर्थात वह व्यक्ति जो दाने-दाने के लिए मोहताज हो जाए कंगाल कहलाता है। उदाहरण:
जिसे शराब की लत लग जाए वह एक ना एक दिन कंगाल हो ही जाता है क्योंकि ऐसा व्यक्ति किसी
प्रकार की आय नहीं बना पाता लेकिन उसके खर्चे दिन-ब-दिन बढ़ते ही रहते हैं।
यद्दपि कभी-कभी बहुत निर्धन व्यक्ति के लिए इस शब्द का प्रयोग किया जाता है जो कि गलत अर्थ नही देता। कंगाल का अर्थ व प्रयायवाची हैं: जिसके पास धन ना हो, निर्धन, गरीब, रोटी का मोहताज, भुक्कड़, दरिद्र, भिक्षुक, भिखारी (मांग कर पेट भरने वाला) इत्यादि (अंग्रेजी: पॉपर)
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