मानव स्त्री जाति में शिशु
से किशोरावस्था तथा किशोरावस्था से लेकर व्यस्क होने तक की स्थिति में मानव स्त्री
को लड़की शब्द से संबोधित किया जाता है। जबकि अधेड़ उम्र की अवस्था में महिला तथा
औरत शब्द का प्रयोग प्रचलित है। आमतौर पर किसी भी स्त्री को विवाह से पूर्व तक
लड़की कहा जाता है तथा उसके बाद महिला शब्द प्रयोग में लाया जाता है। लड़की शब्द
लड़का का विलोम है। प्राय: समाज में पहनावे व वेशभूषा द्वारा लड़के व लड़कियों में
अंतर किया जाता है क्योंकि किशोरावस्था तक दोनों के शरीर की बनावट लगभग एक समान
प्रतीत होती है। लड़कियों द्वारा पहने जाने वाले कपड़ों में फ्राक, सलवार-कमीज (आधुनिकता
में जीन्स, शर्ट, टी.शर्ट) इत्यादि प्रचलन में हैं। लड़कियों द्वारा अपने नाक व कान
बिंधवाने की परम्परा भी प्रचलन में है जिनमें छोटे आकार की बालियाँ व नथनी डाली
जाती है। लड़कियाँ प्राय बालों की चोटियाँ बनाती हैं। बालों की कम लम्बाई के कारण
बचपन में दो चोटियाँ बनाई जाती हैं तथा बालों की लम्बाई बढ़ने के पश्चात एक ही चोटी
बनाई जाती है जो कि सभी बालों को पीछे की तरफ लपेटती है यद्दपि आधुनिकता में बालों
को खुले छोड़ने का प्रचलन है।
सरल शब्दों में मानव समाज
के दो वशिष्ठ वर्गों में से एक (स्त्री जाति) के मनुष्य को 16 वर्ष की होने तक या उसके
विवाह से पूर्व तक लड़की कहा जाता है। हिन्दी भाषा में इस शब्द का क्रिया पर प्रभाव
पड़ता है जैसे: लड़की खाना बना रही है, आ रही है, खेल रही है, सो रही है इत्यादि।
लड़की शब्द का अर्थ व प्रयायवाची हैं: कम उम्र की स्त्री, महिला की किशोरवस्था, कन्या,
बालिका, बच्ची, बेटी, पुत्री, छोरी, गुड़िया, बिटिया इत्यादि (अंग्रेजी: गर्ल)
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