किसी भी क्रिया या कार्य को
पूर्ण करने के तरीके या ढंग को विधान कहा जाता है। यह बहुत से कानूनों तथा नियमों
का एक सयुंक्त रूप होता है जिसमें अनेक अधिनियमों व सिद्धांतो को भी जगह दी जाती है।
विधान किसी भी कार्य प्रणाली की उस रूप रेखा का पर्याय माना जा सकता है जो उस
कार्य विशेष को करने के लिए सबसे बेहतर ज़रिया माना जाता हो तथा किसी भी समुदाय को
किसी भी रूप (भावनात्मक, भौतिक व अन्य) में ठेस ना पहुंचाता हो। सरल शब्दों में
किसी भी कार्य की पूर्ती हेतु बनाए गए नियमों व उस कार्य के आयोजन/ व्यवस्था को विधान
कहा जाता है ये नियम बहुत ही गहन विचार-विमर्श करने के पश्चात ही बनाए जाते हैं
तथा इनके प्रभावों का समय-समय पर निरिक्षण किया जाता है।
विधान को समझते समय यह ज्ञात रहे कि विधान कानून बनाने का कार्य भी है और स्वयं एक कानून भी अर्थात वह कानून किसी कानूनी प्रक्रिया के तरीके का प्रयोग कर बनाया गया हो विधान कहलाता है। उदाहरण के लिए “विधि का विधान” प्रचलित वाक्य को लीजिए इसका अर्थ है “ विधाता द्वारा बनाए गए कानून” माना जाता है कि विधाता का अपना विधान (कानून) होता है जिसके अनुसार किसी मनुष्य को उसके कर्मों का फल मिलता है। इसके अतिरिक्त विधान शब्द के विस्तार से बना “विधान सभा” बुद्धिजीवियों का एक ऐसा समूह होता है जो कायदे-कानून बनाता है। विधान का अर्थ व प्रयायवाची हैं: नियम, कानून, प्रणाली, एक व्यवस्था, कार्य करने का ढंग, रचना, विधि, तरीका इत्यादि (अंग्रेजी: लेजिस्लेशन)