जैसा देश वैसा भेष अर्थात
किसी भी स्थान पर जाकर वहाँ का रहन-सहन, तौर तरीके तथा संस्कृति को अपना लेना तथा वह
स्थान छोड़ते ही वहाँ की पहचान को छोड़ किसी नए स्थान की पहचान को अपना लेना; इसे
लोकोक्ति के रूप में जैसा देश वैसा भेष कहा जाता है। लोकोक्ति में देश शब्द को किसी
भी ऐसे स्थान के लिए प्रयोग किया है जहाँ मिलती-जुलती संस्कृति के लोग रहते हों
तथा भेष शब्द का अर्थ होता है स्वरूप व इस लोकोक्ति में इसे वेश-भूषा, चाल-चलन,
रहन-सहन इत्यादि के पर्याय रूप में प्रयोग किया गया है। कोई भी व्यक्ति अकेला अपने
अलग तौर-तरीके से नही चल सकता उसे सामाजिक होने के लिए समाज के नियम-कानून इत्यादि
को अपनाना पड़ता है तथा वहाँ के लोगों की तरह ही जीवन निर्वहन करना पड़ता है।
क्योंकि हजारों लोग जो किसी स्थान विशेष पर रह रहे हैं अपनी पहचान किसी एक व्यक्ति
के लिए नही बदलते इसीलिए उस एक व्यक्ति को हजारों लोगों की संस्कृति को अपनाना पड़ता
है व अपनी पहचान बदलनी पड़ती है।
सरल शब्दों में किसी पराए
देश में जाकर वहाँ के रहन-सहन व वेश-भूषा को अपना लेना या वातावरण के अनुसार स्वयं
को ढाल लेना ही जैसा देश वैसा भेष लोकोक्ति का अर्थ है। उदाहरण: कुछ विदेशी लोग वर्षों
से भारत में रह रहे हैं तथा उन्होंने अन्य भारतियों की तरह ही कपड़े पहनने शुरू कर
दिए हैं तथा विदेशी औरतें भी साड़ी पहनने लगी हैं ये तो वही बात हो गई “जैसा देश
वैसा भेष” अंग्रेजी में इसे “इन रोम डू एज द रोमन्स डू” कहा जाता है अर्थात रोम
में जाकर वो ही कीजिए जो रोमन करते हैं। इस पंक्ति से अभिप्राय रोमन के रहन-सहन,
पहनावे व तौर-तरीकों से है।