पूर्णिमा महीने के उस दिन को कहा जाता है जब चंद्रमा का पूर्ण पटल गोलाई रूप में दिखाई देता है पृथ्वी तथा चंद्रमा की ब्रह्मांडीय स्थति के कारण पृथ्वी से चंद्रमा का आकार घटता-बढ़ता प्रतीत होता है तथा इसी स्थिति में जिस रात आसमान में पूर्ण चंद्रमा उदय होता है उसे पूर्णिमा कहा जाता है हिन्दू पचांग के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा के दिन का अपना एक विशेष महत्व होता है पूर्णिमा शुक्ल पक्ष का अंतिम दिन होता है व इसके पश्चात कृष्ण पक्ष की शुरुआत होती है जिसमें चंद्रमा की कलाएं घटने लगती हैं तथा अंतत: चंद्रमा आकाश में से विलुप्त नज़र आता है उस रात को अमावस की रात कहा जाता है। पूर्णिमा का हिन्दी में अर्थ होता है “पूर्णिमासी या शुक्ल पक्ष का अंतिम दिन”; स्थानीय भाषाओँ में पूर्णिमा को पूर्णिमासी भी कहा जाता है जो नाम पूर्ण-मास (अर्थात माह का पूर्ण होना) के आधार पर रखा गया है क्योंकि पचांग के अनुसार पूर्णिमा के दिन ही महिना बदलता हैं