एक प्रकार की क्षति या घाटा जिसमें पहले से प्राप्त किसी वस्तु इत्यादि को खो दिया जाए नुकसान कहलाता है। ध्यान देने योग्य है कि नुकसान शब्द भौतिक तौर पर हुई हानि की ओर इशारा करता है जैसे किसी वस्तु का टूट जाने के कारण हुआ घाटा इत्यादि।
एक ही प्रजाति की वस्तुओं, व्यक्तियों व पदार्थों के अलग अलग वर्ग को प्रकार कहा जाता है। यह वर्ग किसी भी आधार पर बनाए जा सकते हैं इनका आधार हो सकता है जैसे कि: व्यक्ति का व्यवहार, वस्तु का रंग, वस्तु के विशेष गुण इत्यादि। इन आधारों के अनुसार जब किसी वस्तु, व्यक्ति या पदार्थ को वर्गीकृत किया जाता है तब प्रत्येक वर्ग को प्रकार कहा जाता है।
गिनती के पहले अंक तथा गिनती के प्रत्येक अंक के मध्य के अंतर को एक कहा जाता है। यह दो से पूर्व तथा शून्य के बाद आता है। यह शब्द संख्या “1” का वाचक शब्द है। इसके अतिरिक्त ईश्वर के लिए भी “एक” शब्द का प्रयोग किया जाता है जो यह दर्शाता है कि समूचे संसार की रचना करने वाला एक ही है। जिस जैसा कोई दूसरा ना हो अर्थात जो अद्वितीय हो को भी एक नाम से जाना जाता है।
किसी भी संजीव (विशेषकर मनुष्य) की बुद्धि का प्रयोग कर जानने व समझने की क्षमता को समझ कहा जाता है अर्थात किसी शब्द को सुनने के पश्चात् इसके पीछे छिपे अर्थ को जानने की क्षमता को समझ नाम से जाना जाता है। अन्य शब्दों में कहा जाए तो मनुष्य के आन्तरिक विचार-विमर्श करने की शक्ति को समझ कहलाती है।
जिसमें थोड़ा सा या जरा सा का भाव विद्यमान हो कुछ कहलाता है इसका शाब्दिक अर्थ होता है: थोड़ी मात्रा में। कुछ शब्द को अज्ञात संख्या, वस्तु, कार्य या बात के लिए सर्वनाम के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है जैसे: कुछ किताबें मेज पर रखी हुई हैं (इसमें कुछ शब्द अज्ञात संख्या का बोध करवाता है) जैसे: कुछ खाने के लिए दीजिए (अज्ञात खाद्य सामग्री का बोध) जैसे: कुछ तो बताइए (अज्ञात बात का बोध) जैसे: कुछ कर के दिखाओ (अज्ञात कार्य का बोध)
वह जिसमें कोई विचित्रता, विशेषता या दुर्बलता विद्यमान हो तथा जो सामान्य से हटकर व्यवहार करे असामान्य कहलाता है। अर्थात कोई भी ऐसी वस्तु, पदार्थ या स्थिति जो आम तौर पर देखने को ना मिले या अपनी प्रजाति से भिन्न हो असामान्य कहलाती है। असामान्य शब्द अधिकतर नकारात्मकता का भाव दर्शाता है जैसे: इस व्यक्ति का शरीर असामान्य है (यहाँ असामान्य शब्द शारीरिक विकार का बोध करवाता है)