सामान्य लोगों के काल्पनिक
या वास्तविक दृष्टि से एकत्रित रूप को जनता कहा जाता है जो अपने-अपने मत के द्वारा
कोई निर्णय लेती है। जनता के सभी जनों का एक मत होना लगभग असंभव होता है इसीलिए
जनता की राय को बहुमत व अल्पमत में मापा जाता है। उदाहरण के तौर पर यदि जनता में
कुल 100 जन हैं तब 51 समान मत वाले व्यक्तियों के समूह को जनता का बहुमत माना जाता
है। यद्दपि सम्पूर्ण धरातल पर बसने वाले मानव सयुंक्त रूप से जनता कहलाते हैं
परन्तु इस शब्द का अधिक प्रयोग क्षेत्र विशेष के लोगों के लिए ही किया जाता है
जैसे किसी देश के लोगों को “देश की जनता” कह कर संबोधित किया जाता है तथा किसी
राज्य के लोगों को राज्य की जनता कह कर संबोधित किया जाता है। सरल शब्दों में कहा
जाए तो लोगों का वह समूह जिस पर शासन किया जाता है जनता कहलाता है। इस शब्द पर
शासनतंत्र का कोई प्रभाव नहीं पड़ता चाहे राजतंत्र हो या प्रजातंत्र; शासन के अधीन
जनसमूह को जनता नाम से ही संबोधित किया जाएगा।
ध्यान देने योग्य है कि
केवल मानव जाति के लिए ही जनता शब्द का प्रयोग वैध है जनता शब्द “जन” (अर्थात
मनुष्य) से बना है। जिनमें वैचारिक बुद्धि का विकास हो चुका है तथा जो विवेक
द्वारा निर्णय लेने में सक्षम हैं। जनता को पर्याय दो भागों में बांटा जाता है एक
सक्रीय तथा दूसरी अक्रिय। जो रुचि के अनुसार बंटी होती है। जैसे यदि राजनीति की
बात की जाए तो पूरी जनता इसमें सक्रीय नही है तथा हम राजनीति के आधार पर सक्रीय व
अक्रिय जनता के समूह बना सकते है। जनता को अंग्रेजी में पब्लिक (Public) कहा जाता
है।