तलाक को एक प्रक्रिया या एक
प्रकार का निर्णय कहा जा सकता है जिसके द्वारा विवाह के बंधन में बंधे पुरुष व
स्त्री जो कि पति-पत्नी के रूप में एक दूजे के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभा
रहे थे; वे इन जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाते हैं। तलाक के बाद पति या पत्नी
द्वारा भूतपूर्व रिश्ते की तर्ज पर एक दूजे पर किसी भी प्रकार का दबाव बनाना या जबरदस्ती
हक़ जताना कानून के अनुसार दण्डनीय हो जाता है। तलाक पुरुष व स्त्री को एक दुसरे से
स्वतंत्र कर देता है। हालांकि धार्मिक भावनाओं के चलते कई धर्मों ने इसे पाप की संज्ञा
दी है व सामाजिक तौर पर तलाक को एक मनसिक पीड़ा के रूप में देखा जाता है क्योंकि
तलाकशुदा पुरुष व स्त्री को समाज में सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता। परन्तु
कानून कहता है कि एक दुसरे के साथ जहन्नुम जैसी ज़िन्दगी बिताने से अच्छा अलग रह कर
एक नए जीवन की शुरुवात किया जाना ज्यादा बेहतर है कानून इसी नियम का अनुसरण करता
है व इसी कारण यदि पति पत्नी की इच्छा हो तो तलाक के हक़ में सदैव उनके साथ खड़ा
रहता है।
अन्य शब्दों में तलाक एक
कानूनी अधिकार है जो प्रत्येक देश के प्रत्येक नागरिक को बिना भेदभाव के दिया जाता
है। किसी भी देश में तलाक के नियम अलग हो सकते हैं जो कि समय समय पर संशोधित भी
होते रहते हैं इसी प्रकार तलाक के विषय में धर्मों के भी अपने अलग अलग विचार हो
सकते हैं। तलाक को अंग्रेजी में डाइवोर्स (Divorce) कहा जाता है।