छाती पर मूंग दलना से
अभिप्राय उस कष्ट से है जो किसी अपने या पराए द्वारा समीप रहकर दिया जाता है। यह
एक प्रसिद्ध मुहावरा है जिसकी शब्दावली को यदि समझा जाए तो छाती अर्थात वह स्थान
जो ह्रदय के सबसे करीब होता है तथा शरीर का एक उच्चतम स्थान है इसी प्रकार मूंग
दलना एक ऐसी प्रकिया होती है जिसमें मूंग की दाल को चक्की के दो पाटों के बीच पीसा
जाता है। मूंग अन्य दालों की अपेक्षा सख्त होती है जिस कारण चक्की के दोनों पाटों
को नुकसान ज्यादा होता है एक तरह से दोनों पाट जल्द ही घिस जाते है या भावनात्मक
रूप से कहा जाए तो जख्मी हो जाते है। अब इसी प्रकार जब मूंग को दलने वाले वाक्य का
प्रयोग छाती के लिए किया जाता है अर्थात छाती पर रखकर मूंग को पीसे जाने की कल्पना
की जाती है तो इसका सीधा सा अर्थ होता है आत्याधिक पीड़ा देना। ध्यान देने योग्य है
कि यह पीड़ा शारीरिक या मानसिक दोनों तरह से हो सकती है परन्तु ज्यादातर इसका
प्रयोग मानसिक पीड़ा के लिए किया जाता है।
मूंग को दलते हुए व्यक्ति
स्वयं अपने हाथों का प्रयोग करता है तथा अपने हाथों से ही दोनों पाटों के मध्य
मूंग डालकर घुमाता है जिससे ये भावनात्मक अर्थ बनता है कि व्यक्ति करीब बैठकर अपने
हाथों से दोनों पाटों को नुकसान कर रहा है तथा उसका एक मात्र लक्ष्य अपना काम
निकालना है अर्थात मूंग दलना ही उसका लक्ष्य है इस बीच पाटों को कितना नुकसान हो
रहा है इससे उसे कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इसी प्रकार करीब रह कर बिना हमारे कष्ट की
परवाह किए लक्ष्य साधने वाला व्यक्ति जब कष्टकारी हो जाता है तब उसके लिए यह मुहावरा
प्रयोग किया जाता है। उदाहरण: तुम मुझसे दूर क्यों नही चले जाते क्यों अपनी जली-कटी
बातों से मेरी छाती पर मूंग दलने का प्रयास करते रहते हो। छाती पर मूंग दलना का इंग्लिश
में अर्थ हार्म बाय स्टेइंग क्लोज (Harm By Staying Close) होता है।