गिला शिकवा दोनों एक ही भाव
के दो शब्द है तथा दोनों को अधिकतर एक साथ ही प्रयोग किया जाता है। हालाँकि दोनों
का भाव एक ही है लेकिन अर्थ में थोड़ा अंतर है एक तरफ गिला शब्द “विलाप/ नाराज़गी”
का पर्यायवाची है। दूसरी तरफ शिकवा शब्द “शिकायत” को पर्याय देता है। गिला करना
अर्थात किसी गलती या दुःख के लिए ग़म में डूब जाना उसके लिए विलाप करना। किसी से
गिला करना का भाव है उससे नाराज़गी ज़ाहिर करना; सामने वाले को किसी भी तरीके से
जताना कि उसने जो गलती की थी उससे हमारे दिल को कितनी ठेस पहुंची है। इससे अलग शिकवा
का अर्थ होता है शिकायत। जब व्यक्ति ख़ामोशी में नाराज़गी ज़ाहिर ना करके सामने वाले
को उनकी गलतियाँ बताता है तथा जो उसके साथ अनुचित हुआ उसके लिए सामने वाले को गुनाहगार
ठहराता है व उससे शिकायत करता है उसे शिकवा कहा जाता है। इन दोनों शब्दों का
प्रयोग एक साथ करने का अर्थ है कि व्यक्ति के साथ यदि कुछ बुरा हुआ है तो वह
दूसरों की गलतियों के लिए उनसे शिकायत (शिकवा) करके अपनी नाराज़गी (गिला) ज़ाहिर कर
रहा है।
इन दोनों शब्दों का प्रयोग
ज्यादातर विफल प्रेम में हुई नादानियों को लिए किया जाता है जो समय रहते संभाली ना
जा सकी हों। शायरी तथा गजलों में इस शब्द का प्रयोग चरम पर है उदाहरण के तौर पर यह
शायरी लीजिए: “नहीं शिकवा कोई मुझे बेवफाई का हरगिज़... गिला तो तब हो अगर तुमने
किसी से भी वफा निभाई हो...” गिला शिकवा को इंग्लिश में हार्टबर्न एंड कंप्लेंटस (Heartburn
And Complaints) कहा जाता है।
आपने बड़ा ही सविस्तर वर्णन किया हे। बड़ा ही सरल और संक्षिप्त हे । हमें पसंद आया, धन्यवाद् । :)
जवाब देंहटाएंvaha kitni asani se samjh diya
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका जो आपने हमारे प्रश्न का उत्तर विस्तार पूर्वक दिया ।
जवाब देंहटाएंbahut acha explain kiya
जवाब देंहटाएंthankyou
Bohot hi badhiya samjhaye isliye shukriya
जवाब देंहटाएंVery nice explained.. Thankyou
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी
जवाब देंहटाएंNice explanation... Regards...
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