जिन खोजा: जिसने कोशिश की
तिन पाइया: उसने पा लिया
गहरे पानी पैठ: गहरे पानी मे उतरकर
मैं बपुरा: मैं असहाय
बूडन डरा: डूबने से डरता
रहा किनारे बैठ: किनारे पर बैठा रहा
कबीर जी इस दोहे द्वारा मनुष्यों को प्रयत्न करने के लिए प्रेरित करते हुए कहते हैं कि जिस व्यक्ति ने कोशिश की उसने कोई ना कोई सफलता हासिल की है। जैसे एक गौतखोर जब पानी की गहराई में उतरता है तो वह अधिक नही तो कम ही सही किन्तु सागर से मोती निकाल ही लाता है तथा इसके विपरीत वह गौताखोर जो पानी की गहराई देख कर डर गया व पानी की गहराई में उतर पाने का साहस ना कर सका उसे कुछ भी प्राप्त ना हुआ।
इसी प्रकार जब हम किसी कार्य को करने से पूर्व ही असफलता के भय से उसे करने की ईच्छा ही त्याग देते हैं तो हमें शून्य मिलता है। हो सकता है कोशिश करने मात्र से सफलता हमारे कदम चूमे यदि अधिक नही तो कुछ न कुछ तो कोशिश करने वालों को मिलता ही है तथा वे हर स्थिति में कोशिश न करने वालों से अधिक ही ग्रहण करते हैं। ये ही इस दोहे का भाव है।