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Deh shiva bar mohe meaning in hindi | देह शिवा बर मोहे का अर्थ

देहु शिवा वर मोहे दसवें तथा अंतिम देह रूपी सिख गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा रचित व् दसम ग्रन्थ के चण्डी चरित्र में दर्ज एक शबद है। ब्रजभाषा में रचित इस शबद का हिन्दी में अर्थ इस प्रकार है:

देह शिवा बर मोहे इहै: हे परम शक्ति! मुझे ये वर दें 
शुभ करमन ते कबहुँ ना टरूँ: मैं शुभ कर्म करने से कभी पीछे ना हटूँ।
न डरों अरि सो जब जाइ लरूं: और जब मैं युद्ध में जाऊँ तो शत्रु का मुझे कोई भय ना हो।
निश्चै कर अपुनी जीत करूँ: और युद्ध में अपनी जीत निश्चित करूँ।
अरू सिख हों आपने ही मन कौ: और मैं अपने मन को यह सीखा सकूँ
इह लालच गुण तउ उचरों: कि मेरा मन आपके गुणों का बखान करने के लिए सदैव ललाहित रहे।
जब आव की अउध निदान बनै: और जब संसार से जाने का समय आए।
अति ही रन मै तब जूझ मरों: तब मैं रण क्षेत्र में युद्ध करता हुआ मृत्यु को प्राप्त करूँ।

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