जब किसी व्यक्ति पर कही गई बातों का तनिक भी असर नही होता तथा वो ना तो कही गई बात पर कोई प्रतिक्रिया करता और ना ही कही गई बात से किसी भी तरह से प्रभावित होता ऐसे व्यक्ति के लिए उपरोक्त मुहावरे का प्रयोग किया जाता है। कान पर जूँ तक ना रेंगना का अर्थ होता है बात अनसुनी करना या बात का कोई असर ना होना। यह मुहावरा उस व्यक्ति के लिए प्रयोग होता है जिस पर कहे-सुने का नकारात्मक या सकारात्मक किसी भी प्रकार से कोई प्रभाव नही पड़ता।
उदाहरण: 1). तुमको मैं कितनी देर से समझा रहा हूँ लेकिन तुम्हारे कान पर जूँ तक नही रेंगती।
2). परीक्षा में असफल होने पर मोहन के पिता ने उसे बहुत डाँटा लेकिन उसके कान पे जूँ तक ना रेंगी और अब भी वह पढ़ाई पर कोई ध्यान नही देता।