मित्तर प्यारे नूँ पंजाबी भाषा में लिखित एक शब्द है जिसकी रचना दशम सिख गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा की गई थी। पंजाबी शब्द मित्तर प्यारे नूँ का हिन्दी मे मतलब होता है प्रिय मित्र को। इस प्रसिद्ध शब्द का पूर्ण हिन्दी अर्थ निम्न है:
मित्तर प्यारे नूँ: मेरे प्रिय मित्र को... (यहाँ मित्र शब्द परम परमेश्वर के लिए प्रयोग किया गया है)
हाल मूरीदाँ दा कहणा: उनके अनुगामी का उनके मुरीद का हाल बताना...
तुध बिन रोग रजाईयाँ दा ओढ़न: उनको बताना उनके बगैर रजाई (कम्बल) को ओढ़ना एक रोग के जैसा है...
नाग निवासाँ दे रहणा: उनके बगैर रहना सांपो के साथ रहने जैसा है...
सूल सुराही खँजर प्याला: उनके बगैर सुराही काँटे के समान हैं और प्याला खंजर के समान लगता है...
बिंग कसाईयाँ दा सहणा: उनके बगैर जीने का एहसास कसाईयों से कटते हुए जीव को होने वाली पीड़ा के समान है...
यारड़े दा सानूँ सथर चंगा: मेरा यार मेरे साथ है तो मुझे मृत्यु शय्या भी प्रिय लगती है...
भट्ठ खेड़ेयाँ दा रहणा: यार के बिना रहना भट्ठी में जल रहे तन की पीड़ा के समान है...
दशम गुरु द्वारा इस शब्द की रचना माछीवाड़ा के जंगलों में वनवास करते समय की गई थी।
Best one👌
जवाब देंहटाएं😍
जवाब देंहटाएंWaheguru ji
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंWhaeguru ji....
जवाब देंहटाएंGood translation
जवाब देंहटाएंWahegurujii
जवाब देंहटाएंWaheguru ji
जवाब देंहटाएं