3 तलाक/ तीन तलाक का सबंध इस्लाम धर्म से है। यह एक प्रकार का नियम है जिस की व्याख्या इस्लाम के पवित्र क़ुरान में भी मिलती है। तीन तलाक के नियम के अनुरूप शादी के पश्चात यदि पुरुष के समक्ष ऐसी स्थति उत्पन्न हो जाए जिसके चलते शादी का रिश्ता निभा पाना असंभव हो जाए तब वह अपनी इच्छा से पत्नी को तलाक दे सकता है। इस स्थति में पुरुष को गवाहों सामने अपनी पत्नी के समक्ष तीन बार तलाक शब्द को दोहराना होगा। तलाक, तलाक, तलाक कहने पर पति पत्नी एक दुसरे के प्रति सभी वैवाहिक जिम्मेदारियों से आज़ाद हो जाते हैं। परन्तु इस्लाम में तलाक लेने की प्रक्रिया को बहुत ही जटिल बनाया गया है जिसमें पुरुष को तलाक देने के लिए 3 महीने तक का इंतज़ार करना पड़ता है अर्थात तलाक, तलाक, तलाक एक साथ ना कह कर एक माह में एक ही तलाक दिया जा सकता है या अन्य स्थति में यदि स्त्री गर्भवती है तो बच्चा पैदा होने तक इंतज़ार करने की आज्ञा क़ुरान में दी गई है।