किसी को महत्व न देना या कोई ऐसा जिसके होने न होने का कोई फर्क ही न समझा जाए को ककड़ी-खीरा कहा जाता है। ककड़ी खीरा समझना मुहावरे का मतलब होता है महत्वहीन समझना। ककड़ी तथा खीरा सब्जी की एक नस्ल है परन्तु इनका सब्जी बनाने में प्रयोग नगण्य है। इनका सब्जियों में कोई महत्व नही होता। हालाँकि ककड़ी व खीरा को सलाद के रूप में प्रयोग किया जाता है परन्तु सलाद में भी इनको अतिरिक्त में रखा जाता है तथा मुख्य सलाद अलग सब्जियों से बनता है। इसलिए ककड़ी व खीरा का कोई महत्व नहीं आँका जाता। इनके होने के साथ व इनके होने के बिना दोनों स्थितयों में भोजन पूर्ण होता है। इसलिए जब किसी महत्वहीन की बात की जाती है तो उन्हें ककड़ी-खीरा कहा जाता है। ककड़ी खीरा समझना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग निम्न है। उदाहरण: 1). भीड़ में बात को समझने वाले लोग कम और ककड़ी खीरे ज्यादा होते हैं। 2). महत्वपुर्ण लोगों को ही बुलाना फालतू ककड़ी खीरे इक्कठे करने की कोई आवश्यकता नही है।