पद्य लेखन की उस कला को कहा जाता है जिसमें शब्दों को संगठित तरीके से तथा कविताओं के रूप में लिखा जाता है क्योंकि पद्य शैली में कोई बात या जानकारी अलग-अलग पदों में दी जाती है इसलिए पद से ही पद्य शब्द बना है प्राचीन समय के अधिकतर ग्रंथ, वेद व रचनाएं विशेषकर पद्य शैली में लिखी गई हैं। जिनमें कोई बात कहने या समझाने हेतु उसे सीधा न लिखकर पदों में लिखा गया है। यदि आप कोई लेख पढ़ रहे हैं और वह कविताओं के माध्यम से पदों में विभाजित है तो उसकी शैली को पद्य शैली कहा जाएगा। सरल शब्दों में कहा जाए तो क्रमबद्ध तरीके से मात्राओं, लय व शब्दों की संख्याओं का ध्यान रखते हुए लिखी गई कोई भी रचना पद्य कहलाती है।
यदि कोई व्यक्ति पद्य शैली की रचना पढ़ रहा है तो सामने वाले को उसकी भाषा समझने में थोड़ी कठिनाई आ सकती है तथा उसे इस प्रकार लगेगा कि पढ़ने वाला व्यक्ति लयबद्ध तरीके से बोल रहा है तथा स्मरण या जाप कर रहा है पद्य को अंग्रेजी में वर्स (Verse) कहा जाता है।
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