राष्ट्रीय शोक जिसे अंग्रेजी में नेशनल मॉर्निंग (National Mourning) कहा जाता है देश के किसी बड़े नेता या गणमान्य व्यक्ति के निधन पर दुख प्रकट करने हेतु घोषित किया जाता है। राष्ट्रीय शोक के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर गणमान्य व्यक्ति की मृत्यु पर दुःख व संवेदना प्रकट की जाती है जिसने राष्ट्रीय हित में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है वैसे तो राष्ट्रीय शोक के लिए कोई भी समय सीमा निर्धारित नहीं है परंतु यदि आज तक भारत में राष्ट्रीय शोक का इतिहास देखा जाए तो आज तक कम से कम एक दिन और अधिक से अधिक 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है जो कि विभिन्न राजनेताओं, पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व राष्ट्रपति तथा अपने-अपने क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों के निधन पर घोषित किया जा चुका है।
राष्ट्रीय शोक की घोषणा के उपरांत सरकारी निर्णय पर 1 से 7 दिन का शोक घोषित किया जाता है तथा इस बीच सरकार के निर्णय पर सरकारी कार्यालय तथा कॉलेजों को बंद किया जाता है व पूरे राजकीय सम्मान के साथ गणमान्य विशेष व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया जाता है तथा राष्ट्रीय शोक के चलते छोटे-बड़े सभी सरकारी उत्सव रद्द कर दिए जाते हैं इसके अलावा दूरदर्शन तथा आकाशवाणी पर शोक धुन बजाई जाती है एक सबसे बड़ी बात उन सभी इमारतों पर जहां पर नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है वहां पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया जाता है जो कि राष्ट्रीय शोक का प्रतीक होता है।
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