सामंतवाद एक विशेष तरह की शासन प्रणाली थी जोकि मध्यकाल में यूरोप में पनपी। इस शासन प्रणाली में राजा के नीचे सामंत निर्धारित होते थे तथा इन सामंतो का अपने-अपने क्षेत्रों की भूमि पर अधिकार होता था तथा इन सभी सामंतों की कुल भूमि को मिलाकर जो राज्य बनता था उसका कानूनी अधिकार राजा के पास होता था। राजा के अधिकार वाली भूमि का सामंत अपनी संपत्ति की तरह प्रयोग करते थे तथा इसके बदले वे राजा को आर्थिक व सैन्य सहायता देते थे। जब भी राजा कोई आवश्यकता पड़ती तो सामंत राजा के प्रति स्वामीभक्ति दिखाते हुए राजा की आर्थिक व सैन्य शक्ति के माध्यम से सहायता करते थे बदले में राजा के अधिकार में आने वाली भूमि पर कृषि कर सामंत अपना लाभ कमाते थे। इस शासन व्यवस्था की सबसे बड़ी बुरी बात यह थी कि कृषक व मजदूर वर्ग इस व्यवस्था के चलते सबसे अधिक पीड़ित था क्योंकि उसे राजा के साथ-साथ सामंतो के न्याय-अन्याय भी सहने पड़ते थे और इनका अपनी ही भूमि पर अपना कोई अधिकार नहीं था कृषक व मजदूर सामंतो की भूमि पर ही कार्य करने हेतु मजबूर थे और उसमें से भी उन्हें सामंतो को कर देना पड़ता था।
क्योंकि सामंतवादी शासन व्यवस्था समाज को दो वर्गों में बांट रही थी एक पीड़ित और दूसरा शोषक। इसी कारण समय के साथ-साथ सामंत व्यक्तिगत रूप से स्वार्थी होते गए जिस कारण भविष्य में यह व्यवस्था डगमगा गई और जब स्थानीय राजाओं की राजभक्ति से ऊपर उठकर राष्ट्रभक्ति का समय आया तो सामंतवादी व्यवस्था टिक न सकी तथा इसका अंत हो गया। सामंतवाद को अंग्रेजी में फ़्यूडलिज्म (Feudalism) कहा जाता है।
यह भी पढ़ें:
पूंजीवाद का अर्थ
वामपंथी का अर्थ
शून्यकाल का अर्थ
आढ़ती का अर्थ
अरिहंत का अर्थ