भाषा किसी व्यक्ति द्वारा अपने विचारों का आदान प्रदान करने के लिए उत्पन्न की जाने वाली ध्वनि के विशेष रूप को कहा जाता है। जिसका प्रयोग केवल मनुष्य जाति ही करती है। यद्द्पि पृथ्वी का हर एक जीव विशेष तरह की ध्वनि उत्पन्न करने में सक्षम होता है परंतु भाषा उसी को कहा जाता है जो मनुष्यों के कंठ से उत्पन्न होती है तथा जिसे श्रोता समझ पाने में समर्थ होते हैं। यद्द्पि भाषा में एक जैसी ध्वनियों का उच्चारण किया जाता है परंतु कौन सी ध्वनि का मिलान किस ध्वनि से किया जाएगा इस आधार पर ही अलग-अलग भाषाएं बनती है। एक वस्तु का अनेक भाषाओं में नाम अलग-अलग हो सकता है अर्थात उस उस एक वस्तु को दर्शाने के लिए अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग ध्वनियों का प्रयोग किया जा सकता है परन्तु उनका भाव एक ही होता है। जैसे हिन्दी के शब्द "पत्थर" को अंग्रेजी में "स्टोन" कहा जाता है परन्तु ये दोनों शब्द एक ही वस्तु की ओर इशारा करते हैं।
यहां पर ध्यान देने योग्य है कि भाषा को लिखा नहीं जा सकता है भाषा को काल्पनिक लिखित रूप देने के लिए लिपि की आवश्यकता पड़ती है। भाषा के लिए हमने जो चिह्न निर्धारित किए हुए होते हैं उसे हम लिपि कहते हैं। परन्तु लिपि का प्रयोग कर लिखे गए भाषा के लिखित रूप को भाषा नहीं कहा जाएगा। यह बिल्कुल उसी तरह है जैसे हम किसी एक सिग्नल को एक विशेष चिह्न दे देते हैं तथा सामने वाला उस चिह्न को समझ कर यह आता लगाता है कि ये कौन सा सिग्नल है। ठीक उसी तरह भाषा के लिए हमने कुछ चिह्न बनाए हुए होते हैं उन चिन्हों का प्रयोग कर भाषा को एक काल्पनिक लिखित रूप दे सकते हैं तथा सामने वाला व्यक्ति उन चिह्नों को पहचान कर समझ लेता है कि सामने वाला व्यक्ति क्या कहना चाहता है।
दुनिया में हजारों की संख्या में भाषाएं विद्यमान है लेकिन इनमें मुख्य रूप से जो सबसे बड़ी भाषाएं हैं वे हैं चाईनीज, इंग्लिश, स्पेनिश और हिंदी। जो कि संसार में सबसे अधिक बोली जाती हैं हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा प्राप्त है तथा आप जो यह लेख पढ़ रहे हैं यह हिंदी भाषा की देवनागरी लिपि में लिखा गया है हिंदी एक भाषा है और जब हम इसे देवनागरी लिपि का प्रयोग कर लिखते हैं तो यह भाषा का काल्पनिक लिखित रूप होता है परंतु इसे भाषा नहीं कहा जा सकता।
भाषा का प्रयोग एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति तक अपने विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए करता है तथा दुनिया की सभी भाषाएं एक दूसरे में बदली जा सकती हैं जैसे कि हिंदी को इंग्लिश में बदला जा सकता है और इंग्लिश को हिन्दी में। इस प्रकार दुनिया की सभी भाषाएं एक दूसरे से इंटरलिंक हैं तथा सभी को एक दूसरे में बदला जा सकता है यद्द्पि भाषा बदलते समय उच्चारण का ध्यान रखना अनिवार्य होता है साथ ही इसमें कुछ अपवाद भी हो सकते हैं। भाषा का इंग्लिश में मतलब होता है Language (लैंग्वेज)