जिस तरह हमारी गवर्नमेंट (सरकार) होती है और एक प्रणाली के तहत देश को चलाती है उसी तरह कॉरपोरेट्स यानि कि कंपनियों की निगरानी रखने के लिए भी एक सरकारी संस्था होती है भारत में यह कार्य सेबी (SEBI) द्वारा किया जाता है। यह संस्था कॉर्पोरेट के सभी कार्यों को प्रबंधित करती हैं और साथ ही ध्यान रखती हैं कि जो व्यक्ति कंपनी में पैसा लगा रहे हैं, स्टॉक होल्डर हैं, कंपनी के एंप्लोई हैं कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी हैं, सीईओ है, मालिक है उनकी रूचि का ध्यान रखा जाए और उपभोक्ताओं के साथ कंपनी के कैसे संबंध होंगे इन सब के बारे में जो नियमावली बनाई जाती है जो प्रणाली बनाई जाती है जो इन सब को एक साथ लेकर चलती है इसे ही कॉर्पोरेट गवर्नेंस कहा जाता है। इस निगरानी का उद्देश्य होता है कि कॉर्पोरेट में किसी भी प्रकार के सामाजिक नियमों का उल्लंघन न हो चाहे फिर वह कानूनी नियम हो, नैतिक नियम हो, किसी भी प्रकार के सामाजिक मूल्यों पर आधारित नियम हो इत्यादि कॉर्पोरेट गवर्नेंस इन्ही आधारों पर कार्य करती है। कॉर्पोरेट गवर्नेंस की आवश्यकता इसलिए पड़ी है क्योंकि पिछले काफी समय से देखा गया है कि कुछ कंपनियां खुद को दिवालिया घोषित कर देती है जिससे बहुत से निवेशकों का पैसा डूब जाता है तथा देश में निवेश करने वालों की इच्छाशक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और साथ ही कॉर्पोरेट के साथ जुड़े लोगों को बहुत अधिक नुकसान झेलना पड़ता है।
आज के समय में किसी भी कंपनी में कॉर्पोरेट गवर्नेंस की बहुत अधिक आवश्यकता पड़ने लगी है किसी भी प्रकार के घोटाले बाजी को रोकने के लिए और यह सुनिश्चित करने में कि कंपनी समाज पर बुरा प्रभाव ना डाले, कंपनी अपनी कोई मनमानी ना करें या कोई व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए कॉर्पोरेट को किसी भी तरह की हानि ना पहुंचाए। इसके लिए यह निगरानी आवश्यक होती है यदि कोई व्यक्ति इन नियमों के विरूद्ध जाता है तो वह कॉर्पोरेट गवर्नेंस के अंतर्गत आने वाली सजा का हकदार हो जाता है। इसलिए नियमों के अनुरूप चलना अनिवार्य होता है। कॉर्पोरेट गवर्नेन्स के अंतर्गत चलने वाली कंपनी चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो जाए वह कभी भी समाज को नुकसान नहीं पहुंचाएगी। वह हमेशा समाज के भले के लिए काम करेगी क्योंकि आज कॉर्पोरेट को एक निर्जीव व्यापार न समझकर एक इंसान माना जाता है जैसे एक इंसान के चारों तरफ संबंध होते हैं उसी तरह कॉर्पोरेट के साथ भी बहुत लोग जुड़े होते हैं जिनकी ज़िंदगी पर उस कॉर्पोरेट का सीधा प्रभाव पड़ता है। उन जुड़े हुए लोगों की ज़िंदगी पर विपरीत प्रभाव न पड़े इसके लिए कॉर्पोरेट गवर्नेंस का निर्माण किया गया है।
Language bahut easy h thanks a lot bahut easily samaj aa gya
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