धर्म निरपेक्षता दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है पहला शब्द है "धर्म" इस शब्द को हम मजहब का पर्यायवाची मान सकते हैं और साथ मनुष्य के मूल कर्तव्यों को भी "मनुष्य का धर्म" नाम से जाना जाता है वहीं निरपेक्षता का अर्थ होता है निरपेक्ष हो जाना, अलग हो जाना, पृथक हो जाना या विरत ही जाना। इस प्रकार धर्मनिरपेक्षता शब्द का सयुंक्त अर्थ निकलता है वह जो धर्म से अलग हो गया हो उसे कहा जाता है धर्मनिरपेक्ष। और धर्म से निरपेक्ष हो जाने की क्रिया को धर्मनिरपेक्षता कहै जाता है। यह शब्द बहुत समय से भारत की राजनीति में प्रयोग किया जा रहा है तथा हर बार इसे प्रमुखता से उठाया जाता है। ध्यान देने योग्य है कि संविधान में इस शब्द को शामिल नहीं किया गया है इसके स्थान पर शामिल किया गया है "पंथनिरपेक्षता" को। क्योंकि धर्म एक मजहब के साथ-साथ मनुष्य के मूल कर्तव्यों के लिए भी प्रयुक्त किया जाता है और कोई भी सरकार धर्मनिरपेक्ष (अर्थात अपने कर्तव्यों से विमुख) नहीं हो सकती। वहीं भगवान की स्तुति करने की क्रिया व भगवान को पाने के मार्ग को "पंथ" कहा जाता है इसलिए संविधान में धर्म के स्थान पर पंथ शब्द का प्रयोग किया गया है। धर्मनिरपेक्षता का English में मतलब होता है Secularism (सेकुलरिज्म) और इस शब्द का विलोम हो सकता है साम्प्रदायिक या धर्मसापेक्ष।
भारत की सरकार पंथनिरपेक्षता का पालन करती है जिसके अनुसार भारत सरकार किसी भी एक समुदाय से प्रभावित नहीं होती और मजहब के आधार पर राजनीति नहीं करती। भारत की राजनीति पर मजहब का कोई प्रभाव न हो इसलिए भारत के संविधान में सरकार के लिए लिए पंथनिरपेक्ष रहने की अनिवार्य शर्त रखी गई है।