खिज़ां की रुत में गुलाब लहज़ा... बना के रखना कमाल ये है...
हवा की ज़द में दिया जलाना... जला के रखना कमाल ये है...
पतझड़ (उदासी) के मौसम में भी खिले रहना... कमाल (अद्भुत/ अनोखापन/ हैरानी) की बात है...
चलती हवा में कोई दिया जलाए और फिर उसे जला के रखे... कमाल की बात है...
ज़रा सी लर्ज़िश पे तोड़ देते हैं सब ताल्लुक ज़माने वाले...
सो ऐसे वैसों से भी ताल्लुक... बना के रखना कमाल ये है...
जमाने वाले जरा सी बात (मतभेद) पर रिश्ते तोड़ देते हैं...
लेकिन ऐसे लोगों से भी रिश्ते बना कर रखना... कमाल की बात है...
किसी को देना ये मशवरा के... वो दुख बिछड़ने का भूल जाए...
और ऐसे लम्हे में अपने आँसू... छुपा के रखना कमाल ये है...
किसी को ये सलाह देना कि वो अलग होने का दुख भूल जाए...
लेकिन जब खुद को कोई छोड़ कर जाए तब अपने आँसू छिपा कर दिखाए... कमाल की बात है...
ख्याल अपना, मिज़ाज अपना, पसंद अपनी, कमाल ये है...
जो यार चाहे वो हाल अपना बना के रखना... कमाल ये है...
अपना ख्याल, अपना अंदाज, अपनी पसंद ये ही कमाल है...
और जैसा यार (महबूब/ हमसफ़र) चाहे वैसा ही खुद का हाल बना लेना... कमाल की बात है...
किसी की राह से खुदा की ख़ातिर, उठा के काँटे, हटा के पत्थर...
फिर उस के आगे निगाह अपनी झुका के रखना... कमाल ये है...
किसी की राहों पर से खुदा के लिए, काँटे (पीड़ा) उठा कर, पत्थर (रूकावटें) हटा कर...
उसके आगे नज़रें झुका लेना... कमाल की बात है...
वो जिस को देखे तो दुख का लश्कर भी लड़खड़ाए, शिकस्त खाए...
लबों पे अपने वो मुस्कुराहट, सजा के रखना... कमाल ये है...
वो जिस को देख कर दुखों का पहाड़ भी, लड़खड़ा जाए, हार जाए...
ऐसी हँसी अपने होंठों पर सजा कर रखना... कमाल की बात है...
हज़ार ताकत हो, सौ दलीलें हों, फिर भी लहज़े में आज़जी से...
अदब की लज़्ज़त, दुआ की खुशबू, बसा के रखना कमाल ये है....
हज़ार ताकतें हों, सौ तर्क हों, फिर भी नरम लहजे में...
कायदे (शिष्टाचार) का स्वाद और दुआ की महक, बसा के रखना, कमाल की बात है...