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Tinka Kabhu Na Nindiye Meaning in Hindi | तिनका कबहुँ ना निन्दिये दोहे का अर्थ

तिनका कबहुँ ना निन्दिये: एक तिनके को कभी भी तुच्छ नही समझना चाहिए
जो पाँवन तर होय: जो हमेशा पाँव के नीचे रहता है
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े: लेकिन जब कभी उड़ कर आँखों में पड़ जाए
तो पीर घनेरी होय: तो बहुत अधिक पीड़ा देता है

इस दोहे में कबीर जी कभी भी किसी की निंदा न करने की सलाह देते हुए कहते हैं कि चाहे कोई कितना भी तुच्छ क्यों ना लगे। हमें कभी भी किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए और उदाहरण देते हुए कबीर जी कहते हैं कि जैसे एक तिनका जिसकी कीमत कुछ भी नहीं होती और जो सदैव पांव के नीचे पड़ा रहता है उसकी भी निंदा नहीं हमें करनी चाहिए क्योंकि जब कभी वह तिनका हवा में उड़कर आंख में चला जाता है तो असहनीय पीड़ा देता है। इसीलिए किसी को भी कम नहीं आंकना चाहिए और किसी की भी निंदा नहीं करनी चाहिए हर कोई अपनी जगह श्रेष्ठ है। आप अपनी जगह श्रेष्ठ हैं और सामने वाला अपनी जगह। बात समय की है समय आने पर कौन कितना प्रभावी हो जाएगी यह कोई नहीं बता सकता।

व्याख्या: इस दोहे के जरिए कबीर जी बताने का प्रयास करते हैं कि यदि हमें कोई व्यक्ति कमजोर लग रहा है तो इसका अर्थ यह नहीं कि हम उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दें या उसे कुछ भी ना समझे और तुच्छ समझने लगे। क्योंकि समय बहुत ही बलवान है और कुछ नहीं पता कि कौन कब और कैसे किस प्रकार से क्षति पहुँच दे। उदाहरण के तौर पर आपने एक शेर और चूहे की कहानी अवश्य सुनी होगी जिसमें शेर के शिकंजे में एक चूहा फंस जाता है और जान की गुहार लगाते हुए कहता है कि हे सिंह राज आज मुझे बख्श दीजिए और जब समय आएगा तो मैं आपकी सहायता करूंगा। शेर चूहे पर हँसने लगता है और कहता है कि तुम जैसा तुच्छ और निर्लज प्राणी मेरी क्या सहायता करेगा। लेकिन फिर भी शेर को उस चूहे पर तरस आ जाता है और वह उसे बख्श देता है। इसके पश्चात जब एक बार शेर शिकारी के जाल में फंस जाता है तो वही चूहा उस जाल को अपने दांतों से कुतरकर शेर को आजाद करवाता है और इस प्रकार वह असहाय और निर्लज दिखने वाला चूहा शेर की जान बचा देता हैं इसलिए कभी भी किसी को कम नहीं आंकना चाहिए। समय आने पर हर कोई बलवान है हर कोई शक्तिशाली है।

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