तीर्थंकर शब्द का प्रयोग जैन धर्म के संस्थापक व उनके बाद क्रमबद्ध आने वाली उन महान आत्माओं के लिए प्रयोग किया गया है जिन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। तीर्थंकर का मतलब होता है वह महान आत्मा जो तीर्थ की स्थापना करें; जैन धर्म के अनुसार तीर्थंकर शब्द उन महान आत्माओं के लिए प्रयोग किया गया है जिन्होंने संसार के जन्म मरण के चक्र से मोक्ष तक के तीर्थ की स्थापना की है अर्थात उन मूल्यों की स्थापना करने वाली महान आत्माएं जो मूल्य इंसान को इस जीवन मरण के चक्कर से मोक्ष की ओर ले जाते हैं इन मूल्यों की स्थापना करने वाली महान आत्माओं को तीर्थंकर कहा गया है।
तीर्थंकर शब्द का प्रयोग केवल और केवल जैन धर्म के चौबीस तीर्थंकरों के लिए ही किया गया है। तीर्थंकर शब्द का English में कोई अर्थ नहीं होता। हिंदी में भी कोई अर्थ नहीं है सिर्फ़ एक परिभाषा है जो ऊपर दे दी गई है तीर्थंकर शब्द को हर एक भाषा में तीर्थंकर ही लिखा जाएगा।