बहुत सी भाषाओं में कुछ स्लैंग (खिचड़ी शब्द) बन जाते है जो समय के साथ साथ प्रचलित होते रहते हैं। इन शब्दों का जन्म इसलिए होता है क्योंकि यह शब्द बोलने में मनोरंजक लगते है। जिस वजह से लोग बिना इन शब्दों का अर्थ निकाले इन्हें अपना लेते हैं। इन स्लैंग से मिलकर बनी भाषा को खिचड़ी भाषा कहा जाता है। मुंबई में इसी तरह का एक शब्द प्रसिद्ध है वह शब्द है "खाली पीली"। इस शब्द का अर्थ होता है "बिना किसी बात के" या "बेवजह" अर्थात जब बिना किसी कारण के ही कोई कार्य कर दिया जाता है तो कहा जाता है कि तुमने यह काम खाली पीली ही कर दिया है।
अन्य स्लैंग शब्दों की तरह ही "खाली पीली" शब्द का भी कोई सार्थक इतिहास नहीं है लेकिन माना जाता है कि मुंबई में चलने वाली काले और पीले रंग की टैक्सी (जिन्हें आम भाषा में काली-पीली कहा जाता है) के नाम से ही यह शब्द बना है। मुंबई में चलने वाली टैक्सियां काले रंग की तथा इनकी छत पीले रंग की होती है। कईं दशक लगातार चलने के कारण काले-पीले रंग की यह टैक्सियां मुंबई के इतिहास का हिस्सा बन चुकी है यद्द्पि अब इनकी मैन्युफैक्चरिंग बंद कर दी गई है। इन टैक्सियों में काला रंग लंदन तथा पीला रंग इंग्लैंड की टैक्सियों से लिया गया था।
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