अधेड़ उम्र 35 वर्ष से अधिक और 55 वर्ष से कम उम्र को कहा जाता है। यह ऐसा समय होता है जब बचपन, जवानी या बुढापा इनमें से किसी भी वर्ग में व्यक्ति को नहीं रखा जा सकता। व्यक्ति की शुरुआती जिंदगी में शिशु से किशोर होना और किशोर से जवान होने के समय अर्थात शून्य से लेकर 35 वर्ष तक व्यक्ति सुखद जीवन जीता है जिसमें वह निरंतर शारीरिक व मानसिक शक्ति को प्राप्त करता है। लेकिन 35 वर्ष से 55 वर्ष तक की उम्र में व्यक्ति अप्रसन्न ज्यादा रहता है क्योंकि इस उम्र में वह अपनी शारीरिक व मानसिक शक्ति को खोता है। इसलिए अधेड़ उम्र में व्यक्ति सबसे ज्यादा नीरस महसूस करता है और इसी उम्र में व्यक्ति पर सबसे अधिक जिम्मेवारी होती है जैसे अपने साथी की जिम्मेवारी, अपने बच्चों के करियर की जिम्मेवारी, घर का खर्च इत्यादि और ऊपर से वह लगातार अपनी शारीरिक व मानसिक शक्ति को खो रहा होता है इसलिए यहां पर उसे भावनात्मक, सामाजिक और आर्थिक हर प्रकार के सहयोग की आवश्यकता होती है और व्यक्ति के जीवन की उम्र के इसी पड़ाव को अधेड़ उम्र कहा जाता है।