साम्यवाद एक ऐसी आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था या दर्शन है जो सभी संसाधनों पर संपूर्ण समाज के बराबर अधिकार का पक्ष लेता है। यह व्यक्तिवाद तथा पूंजीवाद का विरोधी है। साम्यवाद के अनुसार संसार प्रत्येक युग में सदैव दो भागों में बंटा रहा है एक शोषक और दूसरा शोषित। साम्यवाद शोषक वर्ग उसे मानता है जिसके पास संसार में मौजूद संसाधनों का स्वामित्व होता है। दुनिया में जितने भी संसाधन है चाहे वह धरती से उपजी फसल हो, प्राकृतिक संसाधनों में बहता जल हो या कोई ऐसी वस्तु जो हम पृथ्वी से प्राप्त करते हैं उन पर किसी के भी एकाधिकार का साम्यवाद विरोध करता है। साम्यवाद मानता है कि जिसका भी अधिकार इन संसाधनों पर होगा वह दूसरों का शोषण करेगा। इसलिए इन संसाधनों पर किसी का अधिपत्य नहीं होना चाहिए। साम्यवाद एक ऐसे समाज की कल्पना करता है जिसमें कोई सरकार ना हो किसी प्रकार के शोषक का समावेश ना हो। सिर्फ व्यक्ति ही अपनी आवश्यकतानुसार संसाधनों का प्रयोग करे और एक ऐसा जीवन जिए जिसमें संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा न करनी पड़े। साम्यवाद का मानना है कि राज्य (अर्थात सरकार) शोषकों को बल देती है इसलिए समाज में सरकार का कोई अस