खुदरा मूल्य समझने के लिए आपको पता होना चाहिए कि किसी भी उत्पाद के मुख्य रूप से दो मूल्य होते हैं। पहला वह मूल्य जब किसी उत्पाद को बड़ी संख्या में लाभ कमाने के लिए खरीदा जाता है (अर्थात थोक मूल्य) और दूसरा वह जब किसी उत्पाद को छोटी मात्रा में ग्राहकों को बेचा जाता है (अर्थात खुदरा मूल्य)
उदाहरण के तौर यदि हम थोक में 1,000 बिस्किट के पैकेट खरीदें तो हमें ये हमें कुछ सस्ते मूल्य पर मिलेंगे ताकि हम अपना लाभ कमाकर इन्हें आगे ग्राहकों को बेच सकें। थोक मूल्य में हो सकता है हमें एक बिस्किट का पैकेट मात्र 07 रुपए में पड़े। लेकिन इसके पश्चात जब हम वह पैकेट दुकानों पर रखकर ग्राहकों को बेचेंगे तो हम एक बिस्किट के पैकेट को 10 रुपए में बेचेंगे। अब इसमें 07 रुपए थोक मूल्य है तथा 10 रुपए खुदरा मूल्य। तो हमें एक बिस्किट के पैकेट पर 03 रुपए का लाभ होगा।
सामान्य भाषा में किसी भी वस्तु का वह मूल्य है जो सीधा उन ग्राहकों से वसूला जाता है जो उस उत्पाद का प्रयोग अपने स्वयं के प्रयोग के लिए कर रहे हैं; उस मूल्य को खुदरा मूल्य कहा जाता है। खुदरा मूल्य को English में रिटेल प्राइस (Retail Price) कहा जाता है।
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