क्रीमी लेयर शब्द का प्रयोग भारत की "पिछड़ी जाति सूची" (Backward Caste List) के अंतर्गत आने वाली कुल जातियों को आरक्षण के आधार पर बांटने के लिए किया जाता है। ऐसी जातियां जो Backward Caste की सूची में आती हैं उनमें से कुछ जातियां समय के साथ संपन्न हो जाती हैं जिस कारण उन्हें सरकार द्वारा दिए जा रहे आरक्षण की आवश्यकता नही रहती। इस प्रकार की पिछड़ी जातियों के लिए क्रीमी लेयर शब्द ईजाद किया गया है।
वे पिछड़ी जातियां जो क्रीमी लेयर के दायरे में आती हैं उन्हें किसी भी प्रकार के आरक्षण का लाभ नही दिया जाता तथा उन्हें आरक्षण से वंचित रख उनके साथ अनारक्षित जाति (जनरल कास्ट) जैसा व्यवहार किया जाता है। दूसरी ओर वे पिछड़ी जातियां जो नॉन क्रीमी लेयर (Non Creamy Layer) के अंतर्गत आती हैं अर्थात क्रीमी लेयर में नही आती उन्हें पिछड़ी जाति के आधार पर दिए जाने वाले आरक्षण का लाभ दिया जाता है।
इस प्रकार भारत की पिछड़ी जातियों को दो भागों में बांट दिया गया है पहला क्रीमी लेयर अर्थात वो जातियां जिन्हें पिछड़ी जाति तो कहा जाता है लेकिन आरक्षण का लाभ नही दिया जाता। दूसरा नॉन क्रीमी लेयर अर्थात वो जातियां जिन्हें पिछड़ी जाति भी कहा जाता है और आरक्षण का लाभ भी दिया जाता है।