कैनेडियन पत्रकार तारेक फतेह के अनुसार पैगम्बर मोहम्मद की मृत्यु के 200 वर्ष पश्चात जो हदीस लिखी गई उनमें से एक हदीस में इस बात का वर्णन है कि "पैगम्बर मोहम्मद ने कहा था कि दुनिया में कयामत से पहले दो जंग होंगी और जब दुनिया से बुतपरस्ती (मूर्ति की पूजा करना) पूरी तरह समाप्त हो जाएगी और पूरी दुनिया इस्लाम को अपना लेगी उसके बाद कयामत का दिन आएगा"
अब दुनिया में सर्वाधिक बुतपरस्ती हिन्दुस्तान में है इसलिए उपरोक्त वर्णन से यह अर्थ निकाला गया कि बुतपरस्ती समाप्त करने के लिए "गजवा ए हिन्द" करना पड़ेगा। "गजवा" अर्थात वह जंग जो इस्लाम को फैलाने के लिए लड़ी जाती है और "गजवा ए हिन्द" अर्थात ऐसी जंग जिसके माध्यम से पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में बसे लोगों को किसी भी तरीके से इस्लाम में शामिल किया जा सके ताकि वे बुतपरस्ती बंद कर दें।
लेकिन तारेक फतह के अनुसार जो आक्रमण भारतीय उपमहाद्वीप पर पश्चिम से आए मुस्लिमों (जैसे कि मुग़ल) द्वारा किए गए उन आक्रमणों के चलते जो लोग मुस्लिम बने उन्होंनेे भी अपने हिन्दू भाई-बहनों के प्रभाव में आकर बुतपरस्ती करनी शुरू कर दी और मंदिरों को अपने जीवन का हिस्सा मानने लगे। यदि यह स्वयं अल्लाह द्वारा निर्धारित किया जाता तो मुस्लिमों पर हिन्दू आस्था का प्रभाव नही पड़ना चाहिए था।
इसलिए तारेक फतेह के अनुसार "गजवा ए हिन्द" अल्लाह का आदेश नही बल्कि उन लोगों द्वारा दिया गया एक जंगी नारा था जो इस्लाम के लिए नही बल्कि अपने स्वार्थों के लिए हिंदुस्तान पर मुस्लिम बहुल आबादी चाहते थे हालांकि ऐसा संभव नही हो सका।