चरमपंथी शब्द का प्रयोग प्रायः हम अखबारों व समाचार चैनल पर देखते हैं। चरमपंथी वास्तव में धार्मिक, राजनीतिक व कोई वैचारिक सिद्धांत रखने वाला वह व्यक्ति होता है जो अन्य विचारों, धर्मों व राजनीतिक विचारधाराओं को सिरे से खारिज कर अपने धर्म, विचार व राजनीतिक विचारधारा का आँख मूंदकर अनुसरण करता है और यदि कोई विचार उसके अपने विचारों के खिलाफ होता है तो चरमपंथी व्यक्ति उन्हें सामाजिक बुराई मानता है इसलिए वह अपने विचार के विरूद्ध उठ रही इन बुराइयों से निपटने के लिए शक्ति बल का प्रयोग करता है जिस कारण हिंसा का माहौल बनता है व समाज में अस्थिरता पैदा होती है। यही कारण है कि चरमपंथी व्यक्ति को समाज द्वारा पसंद नही किया जाता।
चरमपंथी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है पहला शब्द है "चरम" जिसका अर्थ होता है "अंतिम सीमा" दूसरा शब्द है "पंथी" जिसका अर्थ होता है "अनुसरणी" इस प्रकार वह व्यक्ति जो किसी विचार, धर्म या राजनीतिक विचार धारा को अपनी चरम सीमा पर जाकर फॉलो करता है को चरमपंथी कहा जाता है। चरमपंथी व्यक्ति "सामान्य पंथी" से अलग होता है क्योंकि जहां सामान्य पंथी सभी विचारों, धर्मों व राजनीतिक विचारधाराओं का सम्मान करते हुए अपने विवेक के आधार पर अपने विचारों में परिवर्तन करने के लिए तैयार रहता है वहीं चरमपंथी किसी अन्य विचार को बिना सुने उसे खारिज कर देता है तथा कभी-कभी दूसरों पर बल प्रयोग कर अपने विचार दूसरों पर थोपने की कोशिश करता है जिस कारण उसे समाज द्वारा पसंद नही किया जाता।