भारतीय संविधान के तीसरे भाग (मूल अधिकार) के अंतर्गत आने वाले "समता के अधिकार" का एक हिस्सा है आर्टिकल 15 (अर्थात: अनुच्छेद 15)
यह अनुच्छेद सरकार व नागरिकों द्वारा किसी अन्य नागरिक के साथ उसके धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव करने को अस्वीकार्य मानता है। इस अनुच्छेद के कारण ही उपरोक्त बिंदुओं के आधार किया गया किसी भी प्रकार का भेदभाव संविधान के विरूद्ध माना जाता है।
यह अनुच्छेद कहता है कि :
(1) राज्य, किसी नागरिक के विरुद्ध के केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा।
अर्थात : सरकार किसी भी नागरिक के साथ उसके धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव नही कर सकती।
(2) कोई नागरिक केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर--
(क) दुकानों, सार्वजनिक भोजनालयों, होटलों और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश, या
(ख) पूर्णतः या भागतः राज्य-निधि से पोषित या साधारण जनता के प्रयोग के लिए समर्पित कुओं, तालाबों, स्नानघाटों, सड़कों और सार्वजनिक समागम के स्थानों के उपयोग,
के संबंध में किसी भी निर्योषयता, दायित्व, निर्बन्धन या शर्त के अधीन नहीं होगा।
(क) दुकानों, सार्वजनिक भोजनालयों, होटलों और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश, या
(ख) पूर्णतः या भागतः राज्य-निधि से पोषित या साधारण जनता के प्रयोग के लिए समर्पित कुओं, तालाबों, स्नानघाटों, सड़कों और सार्वजनिक समागम के स्थानों के उपयोग,
के संबंध में किसी भी निर्योषयता, दायित्व, निर्बन्धन या शर्त के अधीन नहीं होगा।
अर्थात : उपरोक्त बिंदुओं के आधार पर किसी नागरिक को दुकानों, सार्वजनिक भोजनालयों, होटलों या सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश करने से नही रोका जा सकता। साथ ही सरकारी या अर्द्ध-सरकारी अथवा साधारण जनता के प्रयोग के लिए समर्पित कुओं, तालाबों, स्नानघाटों, सड़कों और सार्वजनिक समागम के स्थानों पर कोई भी व्यक्ति प्रवेश कर सकता है या उनका प्रयोग कर सकता है। उपरोक्त बिंदुओं के आधार पर इन सरकारी अर्द्ध-सरकारी स्थानों का अथवा सेवाओं का प्रयोग करने से उन्हें नहीं रोका जा सकता और न ही उन पर किसी प्रकार की कोई बंदिश या शर्त लगाई जा सकती है।
(3) इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को स्त्रियों और बालकों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।
अर्थात : यह अनुच्छेद सभी नागरिकों को समानता का अधिकार तो देता है परंतु यदि स्त्रियों और बालकों के सशक्तिकरण के लिए सरकार उन्हें कोई विशेष योजना का लाभ देना चाहती है तो यह अनुच्छेद सरकार को यह लाभ देने से नहीं रोकेगा। विशेष योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के पश्चात भी स्त्रियों और बालकों को अन्य नागरिकों के समान ही समझा जाएगा।
(4) इस अनुच्छेद की या अनुच्छेद 29 के खंड (2) की कोई बात राज्य को सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए नागरिकों के किन्हीं वर्गों की उन्नति के लिए या अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।
अर्थात : अनुच्छेद 15 समानता का अधिकार तो देता है लेकिन यदि पिछड़े हुए नागरिकों को सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से किसी विशेष सुविधा का लाभ दिया जाता है अर्थात कोई योजना चला कर उनकी सामाजिक रूप से सहायता की जाती है या उन्हें शिक्षा में विशेष छूट दी जाती है तो अनुच्छेद 15 यह छूट देने से अथवा यह सहायता करने से सरकार को नहीं रोकेगा। समाज के पिछड़े वर्ग सरकारी सहायता प्राप्त करने के पश्चात भी अन्य नागरिकों के समान ही समझे जाएंगे।