ऐसी बेरोजगारी जो मांग के चक्र के कारण उत्पन्न होती है को चक्रीय बेरोजगारी कहा जाता है। जैसे यदि किसी क्षेत्र विशेष में अचानक से किसी वस्तु की मांग घट जाती है तो ऐसी स्थिति में उस वस्तु की सप्लाई को भी कम करना पड़ता है और साथ ही उस वस्तु का उत्पादन भी घटाया जाता है। उत्पादन घटने की वजह से जो लोग उसे क्षेत्र में कार्य कर रहे होते हैं उनकी आवश्यकता कम हो जाती है। जिस कारण उत्पादनकर्ता द्वारा कर्मियों की छँटाई शुरू कर दी जाती है। छँटाई करने के बाद कुछ लोगों को काम से निकालना पड़ता है। जिन लोगों को काम से निकाला जाता है वे बेरोजगार हो जाते हैं। इस प्रकार मांग में कमी के कारण उत्पन्न हुई इस बेरोजगारी को चक्रीय बेरोजगारी कहा जाता है जो मुख्य रूप से विकसित देशों में पाई जाती है।