ऐसी बेरोजगारी जो मौसम के आधार पर उत्पन्न होती है; को मौसमी बेरोजगारी कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर कुछ कार्य ऐसे होते हैं जो किसी विशेष मौसम में चलते हैं और उस विशेष मौसम में उस कार्य से जुड़े लोगों को रोजगार मिल जाता है। जैसे गर्मियों के मौसम में कूलर, पंखे इत्यादि से जुड़ा कार्य चलता है जबकि सर्दियों में यह कार्य समाप्त हो जाता है। इस कारण इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को गर्मियों में तो काम मिल जाता है लेकिन वे सर्दियों में बेरोजगार हो जाते हैं। इस प्रकार मौसम के बदलाव के चलते जो बेरोजगारी उत्पन्न होती है उसे मौसमी बेरोजगारी कहा जाता है।
मौसमी बेरोजगारी मूल रूप से कृषि, सब्जी या फलों से संबंधित व्यापार में आती है क्योंकि सब्जी, फलों और फसलों को उगाने का एक विशेष मौसम होता है जिस कारण वे उसी विशेष मौसम में उगाई जा सकती हैं। यदि मौजूदा मौसम उन फलों, सब्जियों या फसलों के अनुरूप नहीं है तो उस क्षेत्र से जुड़े लोग बेरोजगार हो जाते हैं। इस प्रकार के बेरोजगारों को मौसमी बेरोजगार कहा जाता है और इस तरह मौसम के बदलाव के चलते उत्पन्न हुई बेरोजगारी को मौसमी बेरोजगारी कहा जाता है।