आपने अपने मोबाइल में देखा होगा कि फेसबुक के लिए Facebook Lite, ट्विटर के लिए Twitter Lite, इंस्टाग्राम के लिए Insta Lite इत्यादि बहुत सी एप्लीकेशन मौजूद हैं। हर एक सफल ऑनलाइन वेबसाइट अपने लिए दो एप्लीकेशन लांच करती है। जिसमें से एक एप्लीकेशन का हैवी वर्जन होता है जो अधिक MB का होता है और दूसरा वर्जन लाइट होता है जो कम MB का होता है। इन दोनों वर्जन में मुख्य अंतर यह होता है कि जो हैवी वर्जन है वह ज्यादा डेटा यूज करता है वहीं जो लाइट वर्जन है वह कम डाटा यूज करता है। दूसरा अंतर यह है कि यदि आपके मोबाइल की कैपेसिटी कम है तो हैवी वर्जन उसमें हैंग करेगा लेकिन जो लाइट वर्जन है वह आपके मोबाइल में हैंग नहीं करेगा। इसलिए लाइट वर्जन लांच किया जाता है ताकि जो छोटे मोबाइल हैं उनमें बिना किसी परेशानी के ऑनलाइन वेबसाइट की सेवाओं का एप्लीकेशन के जरिए प्रयोग किया जा सके। ऑनलाइन वेबसाइटों के इसी मॉडल की तर्ज पर भारत सरकार मेट्रोलाइट की सेवा लेकर आई है। इसके अनुसार वे स्थान जहां पर कम लोग ट्रेनों में सफर करते हैं वहां पर बड़ी मेट्रो लेन की बजाए इसका लाइट वर्जन लाया जाएगा।
मेट्रोलाइट साधारण मेट्रो से छोटी होगी और इसमें डिब्बों की कुल संख्या केवल तीन होगी। वहीं यात्रियों को बिठाने की कैपेसिटी भी केवल 300 यात्रियों की होगी। इसके अलावा जो इसकी मेंटेनेंस (रखरखाव) का खर्चा है वह भी कम होगा। इसलिए छोटे शहर है जहां पर कम लोग ट्रेनों में यात्रा करते हैं वहां पर मेट्रो की सुविधा दी अवश्य जाएगी लेकिन यह सुविधा आम मेट्रो के अपेक्षा कम लागत वाली होगी। ताकि छोटे शहरों के लोगों की आवश्यकता भी पूरी हो जाए और सरकार पर भी अधिक भार न पड़े। वहीं क्योंकि मेट्रोलाइट आकार में छोटी है इसलिए इसकी देखरेख का खर्चा और स्थापित किए जाने का खर्चा भी कम आएगा। सरकार की इसी प्रस्तावित मेट्रो को मेट्रोलाइट के नाम से जाना जाता है।