इस मुहावरे को समझने से पहले आपको समझना होगा कि कौड़ी क्या होती है दरअसल छोटे-छोटे समुंद्री जीवों की रक्षा के लिए उनके ऊपर हड्डी की एक शैल बनी होती है जो देखने में सूक्ष्म शंख जैसी प्रतीत होती है। पुराने समय में इस शैल को रुपए के सबसे छोटे भाग के रूप में प्रयोग किया जाता था और इसे कौड़ी कहा जाता था। उस समय कौड़ी से सबंधित बहुत से मुहावरे बने जैसे फूटी कौड़ी का न होना (अर्थात बेकार होना) इत्यादि। इसी प्रकार का एक मुहावरा है "कौड़ी का तीन होना" अर्थात "बहुत सस्ता होना"
एक कौड़ी में यदि तीन वस्तुएँ मिल रही हैं तो समझो वे बेहद सस्ती हैं इसलिए उन्हें दीनहीन व्यक्ति जिसके पास कुछ न हो और जो किसी लायक न हो कि लिए एक कटाक्ष के रूप में प्रयोग किया जाने लगा। वहीं से इस मुहावरे का जन्म हुआ।
उदाहरण : तुम्हारे साथ व्यापार करूँगा तो मैं भी कौड़ी का तीन हो जाऊंगा।