मिट्टी की धूल को खाक कहा जाता है और जब हम चलते हैं तो पैरों से टकराकर धूल उड़ती है। यहीं से यह प्रचलित मुहावरा बना है। खाक उड़ाना का अर्थ होता है "व्यर्थ काम करना" या "भटकते फिरना"। इस मुहावरे का प्रयोग ऐसे व्यक्ति के लिए किया जाता है जो बिना किसी काम धाम के घुमक्कड़ों की तरह फिरता रहता है और अपना समय नष्ट करता है।
उदाहरण : कोई काम धंधा शुरू कर लो क्यों पूरा दिन खाक उड़ाते फिरते हो।