वे सभी शब्द तद्भव शब्द कहलाते हैं जो संस्कृत से हिंदी में आए हैं लेकिन समय के साथ उन शब्दों का रूप बदल गया है। जैसे : संस्कृत का "रात्रि" एक तत्सम शब्द है लेकिन इसी से बना "रात" शब्द एक तद्भव शब्द है क्योंकि इसने हिंदी में आकर अपना रूप बदल लिया है। इस प्रकार वे सभी शब्द जो मूल रूप से संस्कृत से आए हैं लेकिन जिन्होंने समय के साथ अपना रूप बदल लिया है तद्भव शब्द कहलाते हैं।
तद्भव शब्दों को "अशुद्ध शब्द" भी कहा जाता है क्योंकि संस्कृत की दृष्टि से ये शब्द अशुद्ध होते हैं। तद्भव शब्दों के उदाहरण में हम "प्रस्तर" से बने "पत्थर", "अग्नि" से बने "आग", "छत्र" से बने "छत", "लक्ष्मण" से बने "लखन", "वर्षा" से बने "बरखा" इत्यादि शब्दों को देख सकते हैं।