RCEP (Regional Comprehensive Economic Partnership) अर्थात प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता 10 आसियान देशों सहित भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूज़ीलैंड के मध्य होने वाला वह समझौता है जिसके अंतर्गत सदस्य देश आयात और निर्यात पर लगने वाले शुल्क को या तो समाप्त कर देंगे या बहुत कम शुल्क वसूलेंगे। यह समझौता सदस्य देशों के बीच क्षेत्रीय व्यापार को आसान बनाने हेतु किया जाना तय किया गया था। लेकिन क्योंकि इन देशों से भारत में निर्यात से ज्यादा आयात होता है इसलिए छोटे व्यापारियों और किसानों को आर्थिक चिंताओं को देखते हुए सरकार ने इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है।
दरअसल भारत की मुख्य चिंता यह है कि यदि इस समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए गए तो भारत को धीरे-धीरे सभी आयात शुल्क समाप्त करने पड़ेंगे जिसके चलते चीन जैसे देशों से आने वाले सस्ते सामान की माँग बहुत अधिक बढ़ जाएगी फलस्वरूप स्वदेशी व्यापारियों को इसका भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। भारत पहले ही चीन के साथ व्यापारिक घाटा झेल रहा है। वित्त वर्ष 2018-19 में भारत-चीन का व्यापारिक घाटा 53 बिलियन डॉलर का था। वहीं ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खाद्य व डायरी उत्पादों के आयात से भी भारत के खाद्य क्षेत्र को नुकसान होने की संभावना है।
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