भारत के सभी राज्यों में राज्य सरकार होती है जो उस राज्य के लिए कानून बना सकती है तथा उन कानूनों में संशोधन भी कर सकती है लेकिन केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसी कोई सरकार नही होती; इन प्रदेशों पर भारत सरकार (जिसे हम केंद्र सरकार भी कहते हैं) का सीधा शासन चलता है; इसलिए इन प्रदेशों को केंद्र शासित प्रदेश कहा जाता है। एक तरफ जहाँ राज्यों में राज्य सरकार व मुख्यमंत्री होते हैं वहीं केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रपति द्वारा एक प्रशासक या लेफ्टिनेंट गवर्नर (उपराज्यपाल) नियुक्त किया जाता है। जो उस केंद्रशासित प्रदेश की प्रशासनिक गतिविधियों को केंद्र सरकार के आदेशानुसार चलाता है। इस प्रकार सरल शब्दों में कहें तो वे प्रदेश जिन पर केंद्र सरकार का सीधा शासन चलता है; केंद्र शासित प्रदेश कहलाते हैं।
ध्यान दें : केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा का गठन भी किया जा सकता है लेकिन इन विधानसभाओं के अधिकार सीमित होते हैं और इन्हे कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है। दिल्ली और पुड्डुचेरी की विधानसभा इसके उदाहरण हैं।
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